Friday, 11 January 2019

हिन्द और प्रशांत महासागर जो मिल के भी न मिले

हैलो दोस्तों,
आपने तो हिन्द महासागर और प्रशांत महासागर के बारे में सुना ही होगा, लेकिन क्या आप ये जानते है कि एक ऐसा छोर भी है जहाँ ये दोनों महासागर टकराते तो है पर मिलते नही है, जी हाँ, तो आइए उसी के बारे में आज बात करते हैं, और समझते हैं कि ऐसा क्यों होता है।


     दरअसल अलास्का की खाड़ी में दो अलग रंग का पानी पाया जाता है, जैसा कि आप इस फोटो में देख रहे हैं, इसमे एक गहरे नीले रंग का पानी है जो हिन्द महासागर का पानी है और दूसरा हल्का नीला प्रशांत महासगार है। दूर से इसे देखने पर ऐसा लगता है कि किसी ने इनके बीचों बीच एक अदृश्य सी दीवार खड़ी कर दी है, पर ऐसा नही है।
     इस खूबसूरत नज़ारे को जहाज से देखा जा सकता है, और आसमान से देखने पर तो ये नज़ारा और भी खूबसूरत लगता है। जब ये दोनों महासागर आपस में टकराते हैं तो इनके बीचों बीच एक झाग बनता है जो एक दीवार की तरह ही लगता है।
      कुछ लोग इसे धर्म से भी जोड़ते हैं, मुस्लिम लोगों का मानना है कि इसका जिक्र कुरान में भी किया गया है और हिंदुओं का मानना है कि इसके बारे में शिवपुराण में वर्णन है। 
      लेकिन वैज्ञानिकों का कहना कि ये सारा खेल विज्ञान का है, ये दोनो पानी के घनत्व और तापमान में अंतर के वजह से होता है, जब तक दो समान घनत्व वाले द्रव्य आपस में नही टकराते, तब तक वो आपस में मिल नही सकते, एक उदाहरण से समझते हैं, आप अगर पानी और तेल को आपस में मिलाना चाहो तो ये आपस में नही मिलते, क्योंकि दोनों का घनत्व अलग अलग है। पर फिर सोचने वाली बात ये है कि महासागर में तो दोनों पानी ही है तो फिर वो क्यों नही मिलते। तो फिर इसका जवाब भी यही है कि दोनों पानी का घनत्व भी अलग अलग ही है, जी हाँ, सामान द्रव्यों का भी घनत्व अलग अलग हो सकता है, दोनो पानी का घनत्त्व अलग होने का कारण ये है कि हल्का नीले रंग का पानी निकलता है बर्फ के ग्लेशियर से, जो नदियों से होते हुए समुद्र में मिल जाता है, ये पानी शुद्ध और मीठा होता है और इसका घनत्व सामान्य पानी जैसा ही होता है, जबकि गहरे नीले रंग का पानी समुद्र का खारा पानी है, इसमे अनेकों लवण, खनिज पदार्थों और तापमान की वजह से ही ये पानी खारा बना है। और इसी वजह से इस पानी का घनत्व सामान्य पानी के मुकाबले ज्यादा हो गया । तो इस तरह से वैज्ञानिकों द्वारा अच्छी तरह से शोध करने के बाद ये निष्कर्ष निकला कि दोनों पानी के घनत्व, तापमान, लवण व  खनिज पदार्थों में अंतर होने की वजह से ये पानी आपस में मिल कर भी मिल नही पाती है। सूरज की रोशनी में दोनों अलग अलग रंग के पानी का नज़ारा वाकई में किसी चमत्कार से कम नही लगता।
हमारे भारत देश में भी आपको कई जगहों पर ऐसा देखने को मिलेगा।

हिन्द और प्रशांत महासागर जो मिल के भी न मिले

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